'वॉट्सऐप की नई नीति से प्राइवेसी पर असर

वॉट्सऐप प्राइवेसी को लेकर भारतीय और यूरोप के यूजर्स के साथ अलग-अलग नजरिया अपनाता है। केंद्र सरकार ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट को यह जानकारी दी। सरकार ने कहा कि वह इस मामले पर गौर कर रही है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने सरकार की यह राय जस्टिस संजीव सचदेव की अदालत को बताई। जब सुनवाई शुरू हुई तो अदालत ने 18 जनवरी की अपनी बात दोहराई, जिसमें कहा गया था कि वॉट्सऐप निजी ऐप है और वह वैकल्पिक है कि आप उसे डाउनलोड करें या नहीं। 

अदालत ने पूछा कि याचिकाकर्ता क्यों वॉट्सऐप की नीति को चुनौती दे रहा है? अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि निजी डेटा सुरक्षा विधेयक संसद में विचाराधीन है और याचिका में जिन मुद्दों को उठाया गया है, उन पर सरकार विचार कर रही है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा, 'वॉट्सऐप की ओर से उपयोकर्ताओं को समझौते के लिए मजबूर करने का सामाजिक प्रभाव पड़ सकता। इससे सूचना की निजता और सुरक्षा का हित प्रभावित हो सकते हैं। 

शर्मा ने कहा कि सरकार पहले ही इस मामले को देख रही है और वॉट्सऐप से कुछ जानकारी लेने के लिए संपर्क किया गया है। वॉट्सऐप की ओर से पेश सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने हाई कोर्ट को बताया कि चिट्ठी मिली है और उसका जवाब दिया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई अब एक मार्च को होगी।

 शर्मा ने कोर्ट से कहा कि भारतीय यूजर्स को फेसबुक की अन्य कंपनियों के साथ डेटा शेयर करने को लेकर विकल्प नहीं देना, पहली नजर में तो ऐसा लगता है कि वॉट्सऐप यूजर्स के साथ 'स्वीकार करो या सेवा नहीं देंगे' की नीति पर चल रहा है। उन्होंने कहा कि जहां तक सरकार की चिंता की बात है 

तो वॉट्सऐप ने यूरोपीय यूजर्स के सामने जो निजता नीति पेश की हुई है उसमें खासतौर पर फेसबुक के साथ कंपनी के इस्तेमाल के लिए डेटा को शेयर करने पर रोक है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जब सरकार मामले पर गौर कर रही हो तो उसके लिए कोई आदेश पारित करना मुश्किल है वॉट्सऐप की प्राइवेसी नीति को चुनौती देने वाली याचिका में इसे यूजर्स को संविधान से मिले निजता के अधिकार का उल्लंघन करार दिया गया है।